रायगढ़। चक्रधर समारोह अपने ऐतिहासिक आयोजन के लिए देश में विख्यात है। जहां देश-विदेश के कलाकार आकर अपनी प्रस्तुति देते हैं और अपने आप में गौरवान्वित महसूस करते हैं। लेकिन वर्ष 2023 का आयोजन ना ही केवल लोकल स्तर का आयोजन साबित हुआ। अपितु एक राज्य के ही कलाकार आपस में समय अंतराल को लेकर कहा सुनी करने लगे। इसका श्रेय आयोजन समिति को दिया जाए या फिर उनकी व्यवस्थाओं को, इस बात को लेकर आम जनता असमंजस में है।
वर्ष 2023 के चक्रधर समारोह कलेक्टर और आयोजन समिति द्वारा निर्णय लिया गया था कि स्थानीय कलाकारों को भरपूर मौका दिया जाएगा। इस कारण नगर निगम ऑडिटोरियम में आयोजन प्रारंभ कराया गया। आयोजन में सैकड़ो स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्राप्त हुआ लेकिन कहीं ना कहीं समारोह की गरिमा धूमिल हुई है। भले ही जिला प्रशासन इस बात को नकारे लेकिन सच्चाई यही है कि पहले 10 दिन का कार्यक्रम बगैर विवाद के संपन्न होता था लेकिन इस वर्ष 3 दिन का आयोजन दोपहर 12 से प्रारंभ होकर रात्रि 2 बजे तक संचालित हुआ बावजूद इसके ना ही इस आयोजन को देखने के लिए नगर निगम ऑडिटोरियम की सीट भरी और ना ही कलाकारों को प्रसन्नता हुई।
खैरागढ़ के कलाकारों और रायगढ़ के कलाकारों के बीच आयोजन के दौरान रही खींचातानी
कार्यक्रम के समापन वाले दिन कार्यक्रम प्रस्तुति को लेकर खैरागढ़ संस्कृत महाविद्यालय और रायगढ़ के स्थानीय कलाकारों के बीच कहा सुनी होने लगी। इस बात की जानकारी लेने पर पता चला कि रायगढ़ के कलाकारों को उनके प्रस्तुति समय से 3-4 घंटा बाद कार्यक्रम की प्रस्तुति देने की बात कहीं जा रही है। ऐसी स्थिति निर्मित होने पर स्थानीय कलाकारों ने इस बात का विरोध करते हुए आयोजन का बहिष्कार करने तक की बात कही। लगातार फोन पर बहिष्कार की बात सुनकर आयोजन समिति के जिम्मेदार पदाधिकारी मान मनोव्वल में लग रहे। कलाकारों को राष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रस्तुति देने की ललक ने रोक रखा था। चक्रधर समारोह के समापन अवसर पर कलाकारों ने रात्रि 3 बजे तक अपनी प्रस्तुति केवल यह सोच कर दी कि उन्हें इस राष्ट्रीय मंच पर दोबारा प्रस्तुति देने का अवसर मिलेगा या नहीं। शाम 6 बजे का समय देकर रात 12 बजे तक मासूम बच्चों का कार्यक्रम नहीं कराया गया। जिस बात को लेकर बच्चों के पालकों ने भी अपना गुस्सा जाहिर किया। उनका कहना था कि हर किसी को मौका देकर आयोजन समिति आंकड़ा बढ़ाने का काम कर रही है। देश विदेश में प्रस्तुति देकर आए बच्चों को दर्शकों के अनुपस्थिति में प्रस्तुति दिलाकर क्या साबित करने का प्रयास किया जा रहा है यह सोचने का विषय है। आयोजन समिति शाम 6 बजे के बाद तक दोपहर 12 बजे से प्रारंभ आयोजन को ही संपन्न कराने में लगी रही। ऐसे में जहां स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुति देखने के लिए उनके समर्थक समय निकाल कर पहुंचे थे वह भी परेशान होकर वापस लौट गए। ऐसे में स्थानीय कलाकारों की नाराजगी जायज थी।