Home Chhattisgarh देवउठनी एकादशी के लिए गन्ना, शकरकंद और सिंघाड़ा की सभी चौक चौराहों पर सजी दुकानें

देवउठनी एकादशी के लिए गन्ना, शकरकंद और सिंघाड़ा की सभी चौक चौराहों पर सजी दुकानें

by Niraj Tiwari

आज के दिन होती है भगवान विष्णु और तुलसी की पूजा

रायगढ़। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष एकादशी यानी देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को है। इसे देवोत्थान एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी के नामों से भी जाना जाता है। इस पर्व पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए गन्ने एवं सिंघाड़े अर्पित किए जाते हैं। शहर में इस अवसर पर बड़े पैमाने पर गन्ने व सिंघाड़े का कारोबार होता है। जिले में इस बार गन्ना व सिंघाड़ा बीते वर्ष की तुलना में खासे महंगे हैं। व्यापारियों का अनुमान है कि इस बार एकादशी पर एक करोड़ रुपए के गन्ना, सिंघाड़ा, शकरकंद, चने की भाजी, मौसमी फल व बिल्वपत्र आदि बिकने का अंदाजा लगाया जा रहा है।

देवउठनी एकादशी के लिए गन्ना व सिंघाड़ा की दुकानें बाजार में सज गई हैं। चने की भाजी भी हर सब्जी दुकान में मिल रही है। देवोत्थानी एकादशी पर भगवान विष्णु को सिंघाड़े का भोग भी प्रमुख रूप से लगाया जाता है। देवोत्थानी एकादशी पर तुलसी के आसपास सफाई कर गन्ने से मंडप सजाया जाता है। भगवान विष्णु के चरणों में सिंघाड़ा, बेर, चना भाजी, मौसमी फल तथा अन्य पूजन सामग्री अर्पित की जाती है। पूजा पाठ के बाद इस गन्ने को प्रसाद के तौर पर लोग ग्रहण करते हैं। देवोत्थानी एकादशी मनाने के लिए गन्ना, सिंघाड़े, बिल्व, फूल, बेर, मालाओं से बाजार सजने लगे हैं। गन्ना व्यापारियों ने देव प्रबोधिनी ग्यारस पर गन्ने की बिक्री के लिए कई दिन पहले से ही बाजार में गन्ने लाकर अपनी दुकानें लगा ली हैं। कुछ व्यापारी तो सड़क पर ही गन्ने रखकर बेच रहे हैं। बुधवार को एक गन्ने की कीमत 30 से 50 रुपए तक है। जोड़ी के रेट भी 45 रुपए है।

गुरुवार को ग्यारस पर गन्ने की कीमत में उछाल आ सकता है। शहर के आसपास के गांवों में गन्ने की खेती होती है। देव उठनी ग्यारस का त्योहार आने के कारण किसानों द्वारा कच्चे गन्ने व कम रस वाले गन्नों को भी काटकर बाजार में बिक्री के लिए लाया गया है। देवउठनी एकादशी को लेकर गन्ने की बिक्री शहर में आरम्भ हो गई है। सोमवार और मंगलवार को जगह जगह गन्ने की दुकानाएं लग गई। मंगलवार व बुधवार को भी गन्ने की बिक्री खासी बिक्री हो रही है। गुरुवार को एकादशी के दिन सुबह से रात तक हर चौराहे व बाजारों में जमकर गन्ने बिक रहे हैं। हर घर में तुलसी के पास मंडप बनाने के लिए गन्ने की जरूरत पड़ेगी। इस वर्ष जिले के ग्रामीण क्षेत्र से किसानों के गन्ना बाजार में बिकने के लिए आया हैं। इसके साथ ही अंबिकापुर का मशहूर मीठा गन्ना भी बाजार में उपलब्ध है। जिसकी मिठास से हर कोई परिचित है।

गाना और सिंघाड़ा की दुकान लगाने वाली सावित्री कुराली ने बताया कि वह प्रतिवर्ष चक्रधर नगर चौक में शकरकंद और सिंघाड़ा लाकर बिक्री करती हैं इस बार बाजार में सिंघाड़ा 60 रुपए किलो और शकरकंद 40 रुपए किलो तक बिक रहा है। इस बार भी एकादशी के पूर्व ही बाजारों में सिंघाड़ों की दुकानें लग गई हैं। इस बार सिंघाड़ा 60 रुपए किलो व अधिक दाम पर बिक रहा है। सिंघाड़ा व्यापारियों के अनुसार बीते वर्ष की तुलना में इस बार सिंघाड़ा महंगा है। एकादशी तक इसके रेट और बढ़ सकते हैं। इस बार देवोत्थानी एकादशी तक शहर में करीब 30 लाख रुपए से अधिक का सिंघाड़ा बिकने की उम्मीद है।

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