Home Chhattisgarh कलयुग के देव खाटू श्याम जी करते हैं भक्तों की मुरादे पूरी, बाबा के दर से कोई खाली नहीं जाता: करन अग्रवाल

कलयुग के देव खाटू श्याम जी करते हैं भक्तों की मुरादे पूरी, बाबा के दर से कोई खाली नहीं जाता: करन अग्रवाल

by Niraj Tiwari

देवउठनी ग्यारस बाबा के जन्मदिन पर लगता है खाटू में लाखों भक्तों का मेला

रायगढ़ । राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू गांव में कलयुग के देव कहे जाने वाले बाबा श्याम का मंदिर है बाबा श्याम की कहानी महाभारत काल से प्रारंभ होती है महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण को भीम के पुत्र बर्बरीक में शीश का दान दिया था जिससे प्रसन्न होकर भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक को अपना नाम दिया और उन्हें भगवान के रूप में पूजे जाने का वरदान दिया। सती भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें विशेष तौर पर यह भी शक्ति का वरदान दिया कि मैं जिसके जीवन में दुख लिख दिया संकट लिख दिया और तुम्हारे दर पर अगर सच्चे मन से आता है तो तुम्हारे दर पर मेरा लिखा भी बदल जाएगा।

महाभारत काल के बाद श्याम जी का शीश खाटू की पावन धरती पर प्रकट हुआ इसके बाद से ही सभी उन्हें खाटू श्याम के नाम से जानते हैं और पूछते हैं जो भी भक्त खाटू जाते हैं और बाबा की सच्चे मन से भक्ति करते हैं उनकी सभी मुरादे पूर्ण होती है। श्याम प्रेमी करण अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि खाटूश्याम जी का जन्मोत्सव कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मानाया जाता है. इस दिन को देव उठनी एकादशी होती है।साल 2023 में 23 नवंबर के दिन कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पड़ेगी. इस दिन तुलसी विवाह भी मनाया जाएगा. इस दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाता है।खाटूश्याम जी के जन्मदिन पर उनको कई तरह के भोग लगाए जाते हैं. उनको अनेकों फूलों से सजाया जाता है. इस मनमोहक दिन को देखने के लिए लोग दूर-दूर से खाटूश्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं।ऐसा माना जाता है उनके जन्मोत्सव के मौके पर जो भक्त उनके मंदिर जाकर उनकी आराधना करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।खाटूश्याम जी के बलिदान से प्रसन्न होकर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया था कि कलियुग में वो श्याम नाम से पूजे जाएंगे। साथियों ने हारे का सहारा भी कहा जाता है क्योंकि उनकी माता अहिल्वती ने महाभारत के युद्ध में जाने से पूर्व उनसे वचन लिया था की जो हारेगा तुम उसकी सहायता करोगी उसके सहारे बनोगे तब से खाटू श्याम जी को हारे का सहारा कहा जाता है और बाबा हारे हारे हुए प्राणी की मदद के लिए जरूर आते हैं।

You may also like