आखिर कब मिलेगी गंदे पानी की समस्या से निजात
रायगढ़। चक्रपथ के इस नजारे से रायगढ़ शहर के ज्यादातर नागरिक परिचित होंगे। वैसे तो यह नजारा बारिश के दिनों में बेहद आम होता है। इसके अलावा साल में कभी कभार होने वाली बेमौसम की बारिश सहित आम दिनों में तकरीबन 15 से 20 दिन के अंतराल में सुबह सवेरे अक्सर यह दृश्य देखने को मिल जाता है।।
अब होटल जमुना इन से निकलकर उक्त कृत्रिम गंदे नाले का बदबूदार काला पानी चक्रपथ की सड़क में फैलकर सीधे केलो नदी में मिल रहा है। जिस स्थान पर नाले का पानी केलो नदी में मिलता है वहां से लेकर करीब 300 मीटर दूरी तक नदी का पानी पूरी तरीके से प्रदूषित हो जाता है। एक बार छोड़े गए पानी और कचरे की बदबू से पूरे सप्ताह नदी के पानी से दुर्गंध आती रहती है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि चक्रपथ की इस सड़क से जिला प्रशासन के बड़े अधिकारियों से लेकर निगम आयुक्त,महापौर,विधायक और नगर के तमाम जनप्रतिनिधि गुजरते है। यही नही इस मार्ग से स्कूटर, मोटर सायकल,सायकल सहित पैदल सड़क पार करने वाले आम नागरिकों की दिक्कतें भी साफ देखी जा सकती है। परंतु उक्त समस्या के समाधान को लेकर अब तक न तो निगम प्रशासन की ओर से कोई सार्थक प्रयास किया गया है और न ही जिला प्रशासन इस मामले में गंभीर दिखाई देता है। जबकि नाले का गंदा पानी नदी में मिलने के कारण जीवनदायिनी केलो नदी भी प्रदूषित हो रही है। कोई प्रयास करना उचित नहीं समझते हैं।
ऐसा ही कुछ हाल चक्रपथ के दूसरे तरफ का भी होता है। शहर में घंटे दो घंटे की बे-मौसम बारिश के बाद रेलवे की जमीन पर अवैध तरीके से बसे प्रेम नगर मुहल्ले के गंदे नाली का दूषित पानी चक्रपथ में आकर किसी पोखरे की तरह भर जाता है। फिर धीरे-धीरे पूरे दिन नाली का यह सड़ांध युक्त पानी केलो नदी में प्रवेश करते हुए, नदी के पानी को बुरी तरह दूषित करने लगता है।
आम शहरी के रूप में इसे देखने से हर शहरवासी के मन में काफी पीड़ा उठना स्वाभाविक है, इसके उपर तुर्रा यह कि यहां से महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर सुघघर रायगढ़ लिखे हुए पोस्टर को देखना भद्दे मजाक जैसा लगता है।
उम्मीद है कि नगरवासियों की इस पीड़ा को जिला व निगम प्रशासन भी जिम्मेदारी के साथ समझेगा और इस समस्या का कोई कारगर समाधान जनहित में निकल सकेगा।