वार्ड में भर्ती मरीज और सिस्टर को नहीं लगी भनक
रायगढ़। जिला अस्पताल अपनी जीर्ण शीर्ण हालत और अव्यवस्थाओं को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहता है। वर्तमान में स्थिति ऐसी है कि वार्ड के भीतर बाथरूम में 2 दिन तक वृद्ध मरीज की लाश पड़ी रही लेकिन किसी ने उसकी सुध नहीं ली उल्टा पुलिस में उसके अस्पताल छोड़कर भागने की सूचना दे दी गई। मंगलवार की रात जब बाथरूम के भीतर लाश देखी गई तब मरीजों और स्टाफ में हड़कंप मच गया।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अपने भवन में शिफ्ट होने के बाद से जिला अस्पताल अपने पुराने भवन में संचालित हो रहा है। वर्तमान में अस्पताल की स्थिति इतनी दयनीय है कि अस्पताल में स्टाफ की कमी, मशीनों की कमी समेत व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण सोमवार को सुबह 4 बजे देखने को मिला।
जब पेट दर्द से परेशान हरिशंकर सिंह पिता राम गोविंद सिंह उम्र 62 वर्ष निवासी ग्राम गेरवानी एकाएक अस्पताल से गायब हो गया। अस्पताल स्टाफ ने उसे खोजना मुनासिब नहीं समझा और सीधे कोतवाली पुलिस को सूचना दे दी की हरिशंकर सिंह बिना सूचना दिए अस्पताल से कहीं चला गया है। इसके बाद से अस्पताल प्रबंधन ने उसकी खोजबीन खत्म कर दी। मंगलवार की रात मेल मेडिकल वार्ड में एक युवक जब शौच करने के लिए गया तब उसने देखा कि एक दरवाजा अंदर से बंद है। उसने कई बार आवाज दिया लेकिन जब कोई जवाब नहीं आया तब उसने पैर से मार कर दरवाजा तोड़ दिया। दरवाजा टूटने पर उसने देखा कि एक युवक बाथरूम में अचेत हालत में पड़ा है जिसकी जानकारी अस्पताल स्टाफ को दी गई। आनन फानन में सभी स्टाफ और वार्ड के मरीज बाथरूम के पास पहुंचे, जहां उन्होंने हरिशंकर सिंह को मृत अवस्था में पाया। घटना की सूचना देर रात कोतवाली थाना में दी गई। रात में पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। अस्पताल में लाश मिलने की बात आग की तरफ फैल गई। जिसकी जानकारी पाकर हरिशंकर सिंह के साथ काम करने वाले सिक्योरिटी गार्ड अस्पताल पहुंचे। जहां उन्होंने बताया कि हरिशंकर सिंह बीते डेढ़ वर्ष से करतार गैरेज में गार्ड की ड्यूटी करता था और उसके पेट में दर्द उठने के कारण उसे अस्पताल लाकर भर्ती कराया गया था। बुधवार को सुबह कोतवाली पुलिस के जवान अस्पताल पहुंचे और शव को पोस्टमार्टम के लिए मर्चूरी रूम भेज दिया। इससे अस्पताल प्रबंधन के अधिकारियों कर्मचारियों की गतिविधि साफ नजर आ रही है अस्पताल में प्रतिदिन बाथरूम इत्यादि की सफाई के लिए कर्मचारी रखे गए हैं लेकिन वह लोग प्रतिदिन काम नहीं करते। यदि काम प्रतिदिन होता तो सोमवार की सुबह ही हरिशंकर की लाश उन्हें मिल जाती।