Home Chhattisgarh घरघोड़ा सड़क दुर्घटना में लापरवाह बस चालक पर एफआईआर

घरघोड़ा सड़क दुर्घटना में लापरवाह बस चालक पर एफआईआर

by Niraj Tiwari

 दुर्घटनास्थल का जिलास्तरीय इंटर डिपार्टमेंट ट्रैफिक लीड एजेंसी ने किया निरीक्षण

  रायगढ़ । घरघोड़ा थाना क्षेत्र स्थित ग्राम चारभांठा के समीप लैलूंगा से आ रही सिटी बस क्रमांक सीजी 13 क्यु 0741 के चालक के द्वारा बस को तेज एवं लापरवाही पूर्वक चलाने से बस से नियंत्रण खोकर बस को रोड से नीचे उतर गई। जिससे बस पलट गई। बस पल्टी होने से गिरी प्रसाद निषाद निवासी कमरीद थाना सरिया एवं सुरेश तिर्की निवासी करवाजोर पखरीटोला थाना लैलूंगा को गंभीर चोटें लगने से मौके पर ही मौत हो गई और अन्य कई यात्रीगण घायल हो गए । दुर्घटना की सूचना पर आसपास के रहवासियों के साथ घरघोड़ा पुलिस द्वारा घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया । घटना में घायल आधा दर्जन से अधिक लोगों का इलाज मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जारी है।

 घटना की सूचना पर पुलिस कप्तान अधिकारीगण भी मौके पर पहुंचे और व्यवस्था बनाया गया । घटना को लेकर बस के चालक के विरूद्ध थाना घरघोड़ा में अपराध पंजीबद्ध किया गया है । वहीं कलेक्टर के निर्देश पर हादसे का वास्तविक कारण जानने के लिए जिला आरटीओ अधिकारी दुष्यंत रायत, एसडीएम ऋषा सिंह ठाकुर, एसडीओपी दीपक मिश्रा, यातायात प्रभारी सुशांतो बनर्जी अपने टीम के साथ मौके पर पहुँचे । अधिकारियों ने दुर्घटना स्थल पर सड़क में कमी जैसे गड्ढे, अंधा मोड़ , निर्माण में दोष इत्यादि का जायजा लिया और संबंधित अधिकारियों को कमी पूर्ति दुरूस्त कराने निर्देशित किया है । इस निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य दुर्घटनाओं में कमी लाना और सुरक्षित यातायात से था ।

सिटी बस की स्थिति कबाड़ से बुरी

जिले में चलाई जा रही सिटी बस की फिटनेस जांच की जाए तो लगभग सभी बसें कबाड़ की स्थिति में है। इसे चलाने वाले ठेकेदार द्वारा मनमाने ढंग से बस का उपयोग किया जा रहा है लेकिन उसका मरम्मत कार्य नहीं कराए जाने से अक्सर दुर्घटना की स्थिति बनी रहती है। पुलिस और जिला प्रशासन को बसों की समय पर मरम्मत कराए जाने को लेकर गंभीर होने की आवश्यकता है। इसके साथ ही बस चालकों के लिए नियम निर्धारण करने की भी जरूरत है। ट्रांसपोर्ट नगर बस स्टैंड में खड़ी बसों की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिटी बस चलाने वाले ठेकेदार की देखरेख में बस की हालत कैसी है। उसके द्वारा बस में मरम्मत के नाम पर कोई कार्य नहीं कराया जाता है जिससे लाखों रुपए खर्च कर खरीदी गई बसें पड़े पड़े कबाड़ हो गई हैं।

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