Home Chhattisgarh चैत्र नवरात्रि की शुरुआत रविवार से आगामी 24 अक्टूबर को होगा समापन 

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत रविवार से आगामी 24 अक्टूबर को होगा समापन 

by Niraj Tiwari

सभी देवी मंदिरों और पंडालों में नवरात्रि के प्रथम दिन सुबह से ही भक्तों का लगा रहता तांता

रायगढ़। पूरे देश में चैत्र नवरात्रि रविवार से मनाई जा रही है। जिसके लिए सभी जगह देवी मंदिरों को वृहद रूप से सजाया गया है। रायगढ़ जिले की नगर देवी और कुलदेवी माने जाने वाली बुढ़ी माई मंदिर को भी पूरी तरह से सजाया गया है और नवरात्रि के पहले दिन दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। रविवार को सुबह करीब 5 बजे से ही मंदिर प्रांगण में भक्तों की लंबी कतार लग गई। इसके साथ ही समलाई मंदिर, माता शीतला मंदिर, मां महामाया मंदिर , दुर्गा मंदिर में भी पूरी श्रद्धा के साथ नवरात्रि पूजा की जा रही है।

नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना कर मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की अराधना की गई। मां शैलपुत्री हिमालय राज की पुत्री हैं। पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने कारण ये देवी शैलपुत्री नाम से विख्यात हुईं।हिंदुओं के बीच नवरात्रि का बहुत महत्व है। नवरात्रि के दिन सबसे शुभ दिन माने जाते हैं। इन दिनों मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा कर मनाए जाते हैं। जिन्हें ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। आमतौर पर नवरात्रि सितंबर या अक्टूबर के महीने में आती है जिसे शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू हुई है। इसका समापन 24 अक्टूबर को दुर्गा विसर्जन और दशहरा के साथ होगा।

 इस विषय में बुढ़ी माई मंदिर समिति के पदाधिकारी ने बताया कि देश-विदेश से माता के भक्त ज्योत कलश मंदिर परिसर में पूरे 9 दिन जलवाते है। मंदिर परिसर में 1800 ज्योति कलश जलाने का स्थान है इसलिए उससे अधिक ज्योति कलश की व्यवस्था नहीं हो पाती है हालांकि प्रत्येक नवरात्र पर 5000 से अधिक लोग माता के मंदिर में ज्योति कलश के लिए पहुंचते हैं लेकिन क्षमता कम होने के कारण उनका रसीद नहीं कट पाता है।

 प्रतिदिन बुढ़ी माई मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु व भक्तगण दर्शन करने पहुंच रहे हैं। रायगढ़ की नगर देवी बुढ़ी माई माता की महिमा बयान करते हुए महाराष्ट्र मुंबई से आई एक महिला ने बताया कि उसे शादी के 8 वर्ष बाद भी संतान प्राप्ति नहीं हुई। तब उसने माता से मन्नत मांगी थी और कुछ ही दिनों में उसे शुभ संदेश प्राप्त हुआ। जिसके बाद से वह प्रतिवर्ष नवरात्र में मुंबई से रायगढ़ माता के मंदिर में माथा टेकने पहुंचती है।

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