रायगढ़। जिले के गुरुद्वारों में गुरु गोविंद सिंह की जयंती आस्थापूर्वक मनाई गई। मंगलम विवाह घर में शबद कीर्तन और लंगर का विशेष आयोजन किया गया। गुरु गोविंद सिंह की जयंती जिले के गुरुद्वारों में आस्थापूर्वक मनाई जा रही है। सभी गुरुद्वारों में शबद कीर्तन के आयोजन किए जा रहे हैं। अनुयाइयों द्वारा लंगर लगाकर भोग प्रसादी वितरित की जा रही है।
सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के 357 वां प्रकाश पर्व है। सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर के पुत्र का जन्म पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। उन्होंने ही खालसा पंथ की स्थापना की थी। यह सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। उन्होंने अपना पूरा जीवन मानव सेवा और सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए बिता दिया। सिखों को केश, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा धारण करने का आदेश गुरु गोविंद सिंह ने ही दिया था। इन्हें ‘पांच ककार’ कहा जाता है। हर सिख के लिए इन्हें धारण करना अनिवार्य है। गुरुद्वारा परिसर में 17 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती मनाई जा रही है। दोपहर 2 बजे तक मंगलम विवाह घर में कीर्तन के बाद अरदास कर गुरु के लंगर महा प्रसाद की शुरुआत की गई। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पुलिस कप्तान सदानंद कुमार ने भी पूरी श्रद्धा के साथ उपस्थित होकर लंगर में प्रसाद ग्रहण किया। लंगर में प्रसाद बांटने के लिए बच्चे, महिलाएं व पुरुषों में सेवाभाव की होड़ लगी रही। रागी जत्थे ने कीर्तन में गुरु गोविंद सिंह के जीवन पर प्रकाश डाला। आकर्षक ढंग से गुरुद्वारा को सजाया गया है।