Home Chhattisgarh भक्ति के प्रवाह को आगे बढ़ाने वाला ग्रंथ है श्रीमद् भागवत पुराण.. आचार्य श्री कृष्णा

भक्ति के प्रवाह को आगे बढ़ाने वाला ग्रंथ है श्रीमद् भागवत पुराण.. आचार्य श्री कृष्णा

by Niraj Tiwari


शाकुंतलम मे संगीतमय भागवत कथा सुनने उमड़ रही भीड़
बापोड़िया परिवार का विशाल आध्यात्मिक आयोजन

रायगढ़। संसार मे श्रीमद्भागवत कथा महापुराण भक्ति के प्रवाह को आगे बढ़ाने वाला दिव्य ग्रंथ है।जिस तरह राजा के सिर पर मुकुट होता है ठीक उसी तरह से श्रीमद् शब्द भी भागवत का मुकुट है।उक्त सारगर्भित बातें प्रख्यात भागवत कथाविद आचार्य श्रीकृष्णा भारद्वाज जी महाराज ने व्यास पीठ से मंगलवार को कथा प्रांगण शाकुंतलम मे नगर के प्रतिष्ठित बापोड़िया परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा पुराण आयोजन के दूसरे दिवस की कथा प्रसंग के दौरान व्यक्त किए।

भगवान बांके बिहारी जी की पूजा आरती के पश्चात कथा का शुभारंभ करते हुए आचार्य श्रीकृष्णा महराज ने मंच से आयोजन को लेकर यजमान बापोड़िया परिवार के उत्साह की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हुए आशीर्वाद प्रदान किया।उन्होंने कहा कि अध्यात्म से जिनका जुड़ाव नहीं उनका कल्याण असंभव है।आचार्य जी ने बताया कि भगवान को पाने की लालसा मायने रखती है।धन कितना है,कुल,कितना श्रेष्ठ है,रूप रंग कितना सुंदर है ?वो सब कोई मायने नहीं रखता।जीवन मन के अनुसार नहीं जिया जाता।बुद्धि के अनुसार जीवन जीना चाहिए।उन्होंने बताया कि भगवान का नाम सुनते ही निद्रा आने लगती है ऐसे भटकाव को दूर करने का प्रयास करें और नारी पुरुष का जीवन योगमय व जितेंद्रीय बनाएं। प्रख्यात भागवत कथाविद आचार्य श्रीकृष्णा महराज जी ने कहा कि द्वितीय दिवस की कथा शुरू करूं उससे पहले ये मति,आप सभी श्रोताओं के मस्तिष्क मे डालना चाहता हूं कि बड़े बड़े महलों और रसूख से गोबिंद नहीं मिलने वाले!उन्हें पाने के लिए कठिन तप करना पड़ेगा। महाराज जी ने महाप्रतापी रावण,कंस और हिरण्यकश्यप का भी उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होने भी भगवान को नहीं माना,क्या हश्र हुआ?पुत्र और पुत्री मे विरोधाभास पर भी महाराज जी ने कहा कि भगवान के दिए हुए अमृतमय प्रसाद का भेदभाव करने वालों का दुर्भाग्य ही है। राम भजत बिटिया भली,राम विमुख नहि पूत। सबरी तो बैकुंठ गई,धुंधकारी भयो भूत।

कथा के द्वितीय दिवस के अवसर पर भगवान शिव के पावन चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि स्वयंभू मनु महाराज और माता सतरूपा से 5 संतान हुई जिसमे 3 पुत्री और 2 पुत्र हुए।पुत्री प्रसूति का विवाह दक्ष प्रजापति के साथ हुआ जिनकी 16 वीं संतान के रूप मे माता पार्वती का विवाह भगवान शिव से हुआ। दक्ष प्रजापति के यहां प्रभू नारायण यज्ञ बनके पधारे हैं।भगवान शिव ने महाराज दक्ष से प्रणाम नहीं किया तो दक्ष प्रजापति को क्रोध आ गया।दूसरे दिन की कथा मे सती प्रसंग और ध्रुव चरित्र की कथा का वर्णन किया गया। तीसरे दिन शनिवार की कथा मे विदुर प्रसंग,सृष्टि वर्णन,वाराह अवतार की कथा का वर्णन होगा।आयोजन समिति ने समस्त श्रद्धालू भक्तगणों से आग्रह किया है कि अपरान्ह 3 बजे से शाम 7 बजे तक होने वाली भागवत कथा पुराण का श्रवण कर पुण्य के भागी बने।


आज की कथा मे गणमान्य विशिष्ठजनों ने कथा श्रवण कर व्यासपीठ पर विराजमान आचार्य श्रीकृष्णा भारद्वाज जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।इनमे प्रमुख रूप से नंदकिशोर अग्रवाल एन आर,संतोष अग्रवाल सत्तू,हनुमान जिंदल,पवन अग्रवाल रामभगत,विनोद बट्टीमार, महापौर जीवर्धन चौहान,ओम प्रकाश ओमी अध्यक्ष लॉयंस क्लब,सुभाष बंसल,मुकेश बंसल,गुड्डू बोंदा, प्रकाश ट्रेडर्स,सुनील गर्ग,अशोक अग्रवाल लॉज,संजय अग्रवाल कार्ड, मोनू सिद्धिविनायक,सतीश अग्रवाल, आलोक अग्रवाल,रमेश छपारिया, सरस गोयल,सहित बड़ी संख्या मे महिला पुरुष श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।आयोजन को सफ़ल बनाने में यजमान दंपत्ति सहित बापोड़िया परिवार के सदस्य पूरे तन मन से जुटे हुए हैं।

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