रायगढ़। मेडिकल कॉलेज अस्पताल से अलग होने के बाद स्वतंत्र अस्तित्व में आए जिला अस्पताल की स्थिति बद्तर हो चुकी है। अस्पताल परिसर में स्वच्छता नाम की चीज नहीं है चारों ओर पान ,पाऊच के पैकेट और शराब की बोतलें फेंकी नजर आ सकती हैं। जिला अस्पताल में बनाया गया पुलिस सहायता केंद्र मानों शराब पीने का सुरक्षित अड्डा बनकर रह गया है।
पूर्व में जिला अस्पताल साफ सफाई और स्वच्छता के लिए जाना जाता था लेकिन इन दिनों जब से मेडिकल कॉलेज अस्पताल अपने भवन में शिफ्ट हुआ है तब से जिला अस्पताल की सुध लेने वाला कोई नहीं है। जिला अस्पताल में सफाई और स्वच्छता की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिस कारण नशा करने वाले लोग अस्पताल में पहुंचकर कहीं भी पान गुटखा खाकर थूक रहे हैं और शराब पीकर शीशी फेंक रहे हैं।
वार्डों की बात की जाए तो इस्तेमाल करने के लिए पानी नहीं है और पुलिस सहायता केंद्र के पीछे 24 घंटे पानी नल से बहता रहता है। पुलिस सहायता केंद्र के पीछे बने शौचालय की दुर्गन्ध वार्डों तक पहुंचती है जिसकी सफाई भी नहीं होती है। पूरे अस्पताल में एक ही गार्ड पदस्थ किया गया है जिस कारण जांच के अभाव में मरीज के परिजन जेब में गुटका पाउच लेकर अस्पताल की भीतर जा रहे हैं और खाकर वार्ड में ही जगह-जगह थूक रहे हैं।
अस्पताल परिसर में बने पुलिस सहायता केंद्र में पदस्थ प्रधान आरक्षक और आरक्षक जहां एक ओर मृतक के परिजनों से अवैध वसूली करने में लिप्त है वहीं समय बे समय पुलिस सहायता केंद्र में ही शराब पीकर खाली बोतल पीछे कचरे की पेटी में डाल रहे हैं। जिससे अस्पताल का माहौल पूरी तरह बिगड़ गया है। पुलिस जवान स्वयं शराब पीकर अस्पताल परिसर में गाली गलौज करते देखे जाते हैं जिससे अस्पताल का अनुशासन भी भंग हो रहा है। सिविल सर्जन डॉ उषा किरण भगत महिला होने के कारण कोई कड़ा रूख अख्तियार नहीं कर पा रही हैं। इस तरह की स्थिति में प्रशासन को स्वयं संज्ञान लेने की आवश्यकता है।