रायगढ़ । रायगढ़ जिले में आयोजित राज्य स्तरीय शालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता की शुरुआत अव्यवस्थाओं के साये में हुई। बाल खिलाड़ियों के लिए यह प्रतियोगिता प्रेरणा और उत्साह का केंद्र होनी चाहिए थी, लेकिन पहले ही दिन बच्चों को भूखे पेट समय बिताना पड़ा, जिससे पूरे आयोजन की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं।

रविवार को कोलता भवन, मरीन ड्राइव में ठहराए गए बिलासपुर संभाग के लगभग 200 खिलाड़ी दोपहर 2:30 बजे तक भोजन की बाट जोहते रहे। भूख से व्याकुल बच्चों को हाथ में थाली लिए केवल खीरा और थोड़ी सब्जी खाते हुए देखा गया। बच्चों ने बताया कि भोजन तैयार होने में देर हो रही है, इसलिए वे भूख शांत करने के लिए जैसे-तैसे काम चला रहे हैं। खेल शिक्षक व शिक्षिकाओं ने भी इस बात की पुष्टि की कि भोजन व्यवस्था में विलंब हो रहा है। जबकि इस तरह की राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में समय पर भोजन, आवास और अन्य सुविधाएं सुनिश्चित करना आयोजकों की जिम्मेदारी होती है।

प्रतियोगिता में साफ्ट बॉल, वॉलीबॉल, महिला क्रिकेट अंडर-19 और खो-खो जैसी खेल स्पर्धाएं शामिल हैं, जिनमें प्रदेश भर के छात्र-छात्राएं भाग ले रहे हैं। लेकिन जिस तरह से रायगढ़ शिक्षा विभाग की लापरवाही सामने आई है, वह चिंताजनक है। बच्चों के माता-पिता और कोच उम्मीद करते हैं कि राज्य स्तरीय आयोजन में उनके बच्चों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन ऐसी लापरवाह व्यवस्था न केवल खिलाड़ियों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि उनके मानसिक उत्साह को भी ठेस पहुंचाती है। अब सवाल उठता है कि जब खिलाड़ियों को मूलभूत जरूरतें जैसे समय पर भोजन तक नहीं मिल पा रहा है, तो उनसे श्रेष्ठ प्रदर्शन की अपेक्षा कैसे की जा सकती है? शासन-प्रशासन को इस गंभीर लापरवाही का संज्ञान लेते हुए तुरंत व्यवस्था सुधारनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।