आचार्य वेंकटेश शरण जी महाराज के मुखारविंद से कहीं जा रही भागवत कथा
रायगढ़। इन दिनों जिले में राम कथा, भागवत कथा और शिव महापुराण कथा का आयोजन जगह-जगह हो रहा है। जूटमिल पुराना बस स्टैंड क्षेत्र में भी यजमानों के द्वारा आचार्य वेंकटेश शरण जी महाराज को वृंदावन से आमंत्रित कर भागवत कथा का क्षेत्रवासी रसपान कर रहे हैं यह कथा बीते 10 दिसंबर से प्रारंभ होकर आगामी 18 दिसंबर को समापन भंडारा के साथ होगा।
आचार्य वेंकटेश शरण जी महाराज श्री धाम वृंदावन से पधारकर जूटमिल क्षेत्र में भागवत कथा का वाचन कर रहे हैं। जहां प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक उनका पाठ नियमित पिछले 10 दिसंबर से किया जा रहा है। जिसमें बड़ी संख्या में क्षेत्रीय और दूर दराज के लोग पहुंचते हैं और भागवत कथा का श्रवण करते हुए उत्साहित होकर झूमते नजर आते है।कथा वाचक आचार्य वेंकटेश शरण जी महाराज ने कहा कि संसार में बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो जाए वह अच्छाई के सामने कभी टीक नहीं सकती । अच्छाई और सच्चाई की सदा ही विजय होती है। पापियों के पाप का घड़ा आखिर भरता ही है और उसके पाप ही उस व्यक्ति के अंत का कारण बन जाते है। भगवान पापियों का विनाश करते ही है। इसलिए व्यक्ति को सदा ही सन्मार्ग पर ही चलना चाहिए। उन्होंने कहा की मानव जीवन पाया है तो उसे साकार करने का एक मात्र सहारा प्रभू की भक्ति ही है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा जाता है। श्रीमद् भागवत का अर्थ होता है जो श्री अर्थात चैतन्य, सौंदर्य व ऐश्वर्य से युक्त है। ये वो वाणी है, वो कथा है जो हमारे जड़वत जीवन में चैतन्यता का संचार करती है और हमारे जीवन को सुन्दर बनाती है। श्रीमदभागवत महापुराण ऐसी कथा अमृत है जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। इसीलिए परीक्षित ने स्वर्गा मृत के बजाय कथा मृत की ही मांग की थी । क्योंकि इस कथा अमृत का पान करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। उन्होंने आगे बताया कि भागवत कथा एक कल्पवृक्ष की भांति है। जो जिस भाव से कथा श्रवण करता है, वह उसे मनोवांछित फल देती है। यह निर्णय हमारे हाथों में है कि हम संसार की मांग करते हैं या करतार की।