Home Raipur औद्योगिक विस्तार के विरोध मे ग्रामीण, निगरानी बिठाकर जनसुनवाई कराने की तैयारी, प्रभावित इलाके मे दलाल हुए सक्रिय, दाम और दंड का दिखा रहे भय

औद्योगिक विस्तार के विरोध मे ग्रामीण, निगरानी बिठाकर जनसुनवाई कराने की तैयारी, प्रभावित इलाके मे दलाल हुए सक्रिय, दाम और दंड का दिखा रहे भय

by Niraj Tiwari

रायगढ़ । जिले के सराईपाली में सुनील स्पंज प्राइवेट लिमिटेड की 29.700 एमटी से 2 लाख 11 हजार मीट्रिक टन का क्षमता विस्तार के लिए जन सुनवाई होने जा रही है। वर्तमान में इस प्लांट की क्षमता 29.7 एमटी है। इतने में फैक्ट्री के काला धुंआ आसपास को हलाकान करने वाला है। इस क्षेत्र काला डस्ट और काले वायु प्रदूषण जन मानस सहित पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचा रही है। एनजीटी के एक आदेश के अनुसार क्षेत्र में औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण से बाहर है और नए उद्योग और पुराने का विस्तार नहीं होना चाहिए बावजूद इसके सुनील स्पंज विस्तार की अनुमति दी गई है ।

सुनील स्पंज प्राइवेट लिमिटेड की वृहद स्पंज प्लांट के विस्तार हो जाने से आस पास के गांव का क्या हाल होगा यह सोच कर ही आसपास के ग्रामीण सिहर उठ रहे हैं। खास बात ये है की इस प्लांट की स्थापना 29 एमटी प्रतिवर्ष थी जो अब 2 लाख एमटी से अधिक के लिए जन सुनवाई होने वाली है। जानकारों की मानें तो इतने बड़े पैमाने पर विस्तार के लिए अनुमति देने से पहले प्रशासन के द्वारा कम से कम पर्यावरण और औद्योगिक प्रदूषण को लेकर एक सर्वे तो कराया जाना चाहिए थे। ऐसी दफ्तर में बैठ कर लगभग 70 हजार गुना अधिक के उत्पादन की अनुमति दे दिया गया है। अब इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कहां 29.700 एमटी और कहां 2,11,200 एमटी ऐसे में क्षेत्र में वायु प्रदूषण कितना बढ़ जायेगा इसका सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता है।
ग्रामीण कंपनी के दलालों के चंगुल में ..
सुनील स्पंज प्राइवेट लिमिटेड सरायपाली में स्थित होकर एक वृहद पैमाने पर विस्तार की कवायद की जा रही है। प्रभावित गांव के ग्रामीणों से मुलाकात करने पर पता चला कि कंपनी के दलाल नुमा लोग ग्रामीणों को लुभाने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है। ग्रामीणों को तरह तरह से लोक लुभावन सपने दिखा रहे हैं और हजार रू से लेकर एक लाख रु तक की बोली लगा रहे हैं। कंपनी के दलाल इस काम में लग गए हैं कि कौन किस तरह और कितना मुंह खोल सकता है उसकी आवाज कहां तक जा सकती है। इस हिसाब से उसके मुंह बंद रखने की कीमत दिए जाने की कवायद की जा रही है ।

ग्रामीणों को कलेक्ट्रेट आने से रोका गया

गांव का भ्रमण करने पर कुछ ग्रामीणों ने बताया की ग्रामीण एक जुट होकर मंगलवार को कलेक्ट्रेट जाने वाले थे लेकिन दलाल नुमा लोग ऐसा गणित खेला की कलेक्ट्रेट जाने के लिए एक बंदा तैयार नहीं हुआ। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों सुनील स्पंज के मालिक स्वयं आकर गुप्त तरीके से ज्यादा शोर गुल मचाने वालों के साथ बैठक किया। इसके बाद से अब कोई भी कंपनी के खिलाफ खुल कर बोलने तैयार नहीं हो रहा है। गांव के कुछ लोगों से अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया की विस्तार के लिए जन सुनवाई होने की खबर के बाद निरस्त करने की मांग करने जाने वाले थे लेकिन अर्थ दबाव डाल कर रोक दिया गया।

एनजीटी के अनुसार नहीं होना चाहिए विस्तार..

नियमानुसार क्षेत्र में औद्योगिक प्रदूषण को देखते हुए और उद्योगों का विस्तार नहीं होना चाहिए था। जब हमे पता चला की कंपनी 29 एमटी से 2 लाख 11 एमटी के लिए विस्तार किया जाना है तो हम हैरान हो गए। कंपनी के चिमनी को देखेंगे तो चौबीसों घंटे काला धूंवा निकलता रहता है ESP मशीन पता नहीं लगा भी है या नहीं। पर्यावरण विभाग का कोई नकेल इन कंपनियों पर नहीं है।
पंकज गुप्ता
स्थानीय निवासी

फैक्ट्री के काले धुंए से सब कुछ हो रहा बर्बाद

सुनील स्पंज में अभी 29 एमटी स्पंज का उत्पादन होता है अब इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए जन सुनवाई किया जाना है। इस प्लांट की उत्पादन क्षमता हजारों गुना अधिक बढ़ जायेगा। अभी क्षेत्र काला डस्ट गुबार से खेती किसानी तलाब पूरी तरह चौपट हो रहा है लेकिन मूलभूत समस्या की तरफ किसी का ध्यान नहीं है।
ईश्वर किसान
सरपंच प्रतिनिधि

हम लोग सीधे साधे लोग हैं कमाने खाने के लिए हाड़तोड़ मेहनत करते है। गांव के लोग बड़ी संख्या में बेरोजगार है यह एक बात है मुख्य बात ये है की हम बुरी तरह से प्रदूषण की भयावह चपेट में है विभिन्न तरह की बीमारियां लोगों को घेर रही है। काला धुंआ डस्ट जनजीवन पर बहुत ज्यादा प्रभाव डाल रहा है।
पदमन गुप्ता
स्थानीय निवासी
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दलालों के चंगुल में ग्रामीण..
ग्रामीण सुनील स्पंज का पुरजोर तरीके से विरोध करने का मन बना चुके थे कलेक्ट्रेट भी आने वाले थे गुप्त जानकारी के अनुसार कंपनी के दलालों के द्वारा ग्रामीणों पर आर्थिक दबाव डालकर उन्हें घर से निकलने से रोक दिया गया है। देखा जाए तो सुनील स्पंज को विस्तार के लिए अनुमति देना ही नहीं चाहिए था। क्षेत्र में और औद्योगिक विकास यानी क्षेत्रवासियों को जहरीली आबोहवा में जीने को मजबूर करना है। हमारी मांग है की समय रहते विस्तार पर रोक लगाया जाना चाहिए। वरना एक समय ऐसा आएगा जब लोगों को सांस लेने के लिए भी ऑक्सीजन लगाकर रहना होगा।
राजेश गुप्ता
सामाजिक कार्यकर्ता
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